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शिक्षा मंत्री मदन दिलावर को ज्ञापन

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शिक्षा मंत्री मदन दिलावर को ज्ञापन,                  10वीं या 12वीं कक्षा में माध्यमिक शिक्षा बोर्ड की पुस्तकों के पाठ्यक्रम में शामिल करने के लिए।  जोधपुर के बड़े रामद्वारा में श्याम भक्ति सेवा संस्थान की अध्यक्ष मोनिका प्रजापत,सचिव राजकुमार रामचंदानी और कार्यकारिणी सदस्य लक्की गोयल के नेतृत्व में दिए गए ज्ञापन में शिक्षा मंत्री मदन दिलावर को बताया गया कि,माध्यमिक शिक्षा बोर्ड की 10 वीं और 12 वीं कक्षा में राजस्थान के विभिन्न लोक देवताओं के इतिहास को उल्लेखित करने के साथ पाठ्यक्रमों में स्थान दिया गया है,इसी प्रकार राजस्थान के सीकर जिले में आने वाले खाटू श्याम बाबा आज पूरे विश्व में आस्था के सबसे बड़े केंद्र के रूप में अपनी पहचान बनाने के साथ हारे के सहारे के रूप में लोगों के विश्वास और आस्था के केंद्र बिंदु बने हुए हैं ऐसे में उनसे जुड़े इतिहास को यदि राजस्थान माध्यमिक शिक्षा बोर्ड की 10 वीं और 12 वीं कक्षा के विद्यार्थियों के पाठ्यक्रम में शामिल करते हुए उनके इतिहास को पढ़ाया और बताया जाता है तो निश्चित रूप से बच्चों के माध्यम से पूरे प्रदेश भर में खाटू श्याम बाबा की जानकारी तो जाएगी ही इसके साथ ही बच्चे भी इस इतिहास को जानकर अन्य लोक देवताओं के साथ-साथ श्याम बाबा के इतिहास को भी पढ़ सकेंगे। श्याम भक्ति सेवा संस्थान की अध्यक्ष मोनिका प्रजापत ने शिक्षा मंत्री को अवगत कराया कि, राजस्थान के सीकर जिले में स्थित खाटू श्याम जी के मंदिर को भारतीय संस्कृति का एक महत्वपूर्ण धार्मिक स्थल माना जाता है यह मंदिर हिंदू धर्म में महत्वपूर्ण स्थान रखने के साथ आस्था और विश्वास का जन-जन का प्रतीक बन चुका है। खाटू श्याम बाबा को भगवान श्री कृष्ण के रूप में पूजने के साथ करोड़ों की संख्या में यहां भक्त आते हैं जिनका पौराणिक महत्व जानने के साथ मन्नत पूरी होने के कारण श्याम बाबा के प्रति विश्वास लगातार बढ़ता जा रहा है। श्याम भक्ति सेवा संस्थान सचिव राजकुमार रामचंदानी ने दिलावर को बताया कि,इतिहास से जानकारी यह भी मिलती है कि, खाटू श्याम बाबा वास्तव में अति बलशाली भीम के पौत्र और घटोत्कच के सुपुत्र बर्बरिक है, जिन्हें खाटू श्याम बाबा के रूप में पूजा जाता है। बर्बरिक में बचपन से ही वीर योद्धा के गुण विद्यमान थे उन्होंने बचपन में अपनी माता की आज्ञा के अनुसार मां दुर्गा और भगवान शिव को प्रसन्न करके उनसे तीन बाण आशीर्वाद के रूप में प्राप्त किए थे, जो आगे चलकर श्याम बाबा तीन बाण धारी के रुप में विख्यात हुए। महाभारत में भी बर्बरिक का स्पष्ट रूप से उल्लेख आता है।

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